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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

घरेलू उपचार ( नुस्खे ) भाग - ४

घरेलू उपचार ( नुस्खे ) भाग - ४ की पोस्ट पे आपका स्वागत है , प्रिय मित्रों इस पोस्ट की ख़ासियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि ये बच्चों के प्रमुख रोगों पे आधारित है , प्रमुख रोग तो बहुत से है , लेकिन उनमें से एक रोग जो बच्चों को और उनके अभिभावकों को काफ़ी कष्ट प्रदान करता है , आज उसकी बात करते है,  " खाँसी "  जी हाँ आज का घरेलू उपचार ( नुस्खा ) इसी रोग पे आधारित हैं।



      " खाँसी " स्वयं में कोई रोग नहीं , बल्कि यह दूसरे रोगों से उत्पन्न हुआ विकार मात्र है।

 इसको तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है ---

   ( १ ) सूखी खाँसी - इसमें किसी प्रकार का बलगम नहीं होता।

   ( २ ) तर खाँसी - इसमें बलगम निकलता है। छाती बुरी तरह से लड़खड़ाती है। इसमें बलगम हल्का - सा झटका लगते ही निकलता है। इस प्रकार की खाँसी के शिकार बच्चे बलगम बाहर नहीं फेंकते , बल्कि इसे निगल लेते हैं।

   ( ३ ) दौरे के रूप में उठने वाली खाँसी - इसमें बच्चा खाँसते-खाँसते परेशान सा हो जाता है। उसका मुख लाल - भभूका हो उठता है। आँखें बाहर की ओर निकलने जैसी लगती हैं। जीभ बाहर की ओर निकल आती है। यह विकट प्रकार की खाँसी होती है। इसी को "काली खाँसी" कहते हैं। नवजात शिशु को यदि खाँसी हो जाए तो स्थिति भयंकर भी हो सकती है। इस प्रकार की विकट खाँसी का शिकार , बच्चा दूषित घर के कारण से होता है। यदि बच्चे के फेफड़ों और श्वास नलिका की विकृति हो तो - नवजात शिशु को मौत के मुँह में ले जा सकती है।

         चिकित्सा - उपचार

  जरूरी बात -- चिकित्सा क्या है , कोई भी कार्य करने पर आप भगवान् को ना भूलें, क्योंकि दवा से बड़ी दुवा है

१-- यदि नवजात शिशु खाँसी से परेशान हो जाये तो बच्चे के दूध में थोड़ी सी केसर अथवा कस्तूरी मिलाकर प्रयोग करा देने से लाभ होता है। नन्हे शिशु को बारीक पिसी हुई मुलेहठी चटा देने से भी खाँसी में लाभ होता है। नवजात शिशुओं की छाती पर हिरण के सींग को रगड़ने अथवा उसको घिसकर लेप करने से भी लाभ होता है। इस प्रयोग से कठिन दौरा रुक जाता है।
२ -- खाँसी के साथ यदि बलगम भी आ रहा हो तो लहसुन भूनकर प्रयोग कराने से भी लाभ होता है। कटेरी के फूल और केसर शहद में पीसकर बच्चों को चटाने से भी खाँसी में लाभ होता है।
३ -- अदरक का रस शहद में मिलाकर चटाने से भी खाँसी नष्ट हो जाती है। सौंठ का काढा़ पिलाने से भी खाँसी चली जाती है।
४ -- सूखी खाँसी में मुलेहठी चूसने से अच्छा असर होता है। इससे गला तर रहता है और छाती की जकड़न एवं भारीपन में भी कमी आती है। गरम जल का प्रयोग करना भी खाँसी में लाभकारी रहता है।

 खाँसी होने के प्रमुख कारणों से चिकित्सा करने से मूल कारण दूर हो जाने पर रोग स्वयं ही समाप्त हो जाता है।

 खाँसी की आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए ये औषधियाँ भी दे सकते है , ये बाजार में भी उपलब्ध है-- डिकोक्सिन ( टेबलेट ) , सर्टिना टेबलेट ( चरक ) , त्रीशून टेबलेट ( झन्डू ) , इथिकोपा टेबलेट ( मेडि़कल इथिक्स ) , कासना टेबलेट ( राज वैद्य शीतल प्रसाद एन्ड संन्स )।

ध्यान दें  -- इसमें से जो आयुर्वेदिक औषधियाँ दी गयी हैं उनको कृपया चिकित्सक की देखरेख में ही लें। 


मित्रों ये जानकारी आपको कैसी लगी , अपनी टिप्पड़ी जरूर दें।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 2/10/2013 को
    जो जनता के लिए लिखेगा, वही इतिहास में बना रहेगा- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः28 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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    1. दर्शन जी इस पोस्ट को शामिल करने हेतु धन्यवाद

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  2. एक ही उम्र के बच्चों के लिए उपाय बताएं

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  3. एक ही उम्र के बच्चों के लिए उपाय बताएं

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