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मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

"टूटे हुए शायर का अरमां" - आशीष अवस्थी

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एक टूटे हुए शायर का अरमां अभी कुछ बाक़ी है********
 जो पूरे ना हो सके उन सपनों का ख़्वाब अभी कुछ बाक़ी है।


हम लिख न सके ऐसी शायरी है जिन्दगी********
 कोरे पन्नों में कैद अरमां अभी कुछ बाक़ी है।
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13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ... इनास्मानों को निकल जाने दें ... आराम मिलेगा ...

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    1. सर आप जैसे लोग पधारे , फिर क्या ये आराम मिलने से कम है , धन्यवाद व स्वागत है

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  2. mujhe achchi lagi aapki ye post / jaese aapne mere mn ki bat ko zuban de di ho :)

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. वाह क्या बात है। बेहतरीन पंक्तियाँ

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  5. उत्तर
    1. आपके आने की बात ही अलग हैं , ब्रदर धन्यवाद व सदा ही स्वागत हैं !

      हटाएं

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