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मानव नेत्र यानी की मानव की आँखे , कह सकते है एक प्रकार का प्राकृतिक लेंस , जो कि कुदरत की तरफ से एक अनमोल तोहफा है , ये भी कह सकते है , भगवान् की तरफ से , जिसके ज़रिये हमें हर एक चीज़ को करीब या दूर से देख कर अनुभव हो सकता है , व ठीक-ठीक आंकलन लगाया जा सकता है ,
ये मानव को दिया गया कुदरत की तरफ से एक बहुत बड़ा गिफ्ट ( तोहफा ) है , ऐसा मै बार-बार क्यों कह रहा हूँ , इसका कारण है कि ये प्राकृतिक लेंस अगर न होते तो आज विज्ञान काफी दूर होता हमसे - क्योंकि इसी के द्वारा आज जो कैमरे , लेन्सेस , टीवी , रोबोट्स आदि के निर्माण में मानव ने काफी हद तक सफलता पायी है , वो इसी गिफ्ट की देन है ।
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तो आइये जानते है मानव नेत्रों के बारे में विज्ञान की दृष्टी से -
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मानव नेत्र एक प्रकाशिक यंत्र है , जो फोटोग्राफिक कैमरे की तरह व्यवहार करता है , इसके द्वारा वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है | इसकी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी २५ सेमी होती है | लेकिन सामान्य आँखों से देखी जा सकने वाली अधिकतम दूरी अनन्त होती है |
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इसी प्रयोग के ज़रिये आइये ये जाने की द्रष्टि दोष ( Defects of Vision ) क्या है ?
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निकट द्रष्टि दोष - ( Myopia ) - इस रोग से ग्रसित व्यक्ति नज़दीक की वस्तु तो देख लेता है , परन्तु दूर स्थित वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष के निवारण में अवतल लेन्स का प्रयोग किया जाता है |
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दूर द्रष्टि दोष - ( Hypermetropia ) - इस रोग से ग्रसित व्यक्ति निकट की वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष के निवारण के लिए उत्तल लेन्स का प्रयोग किया जाता है |
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जरा द्रष्टि दोष - ( Presbyopia ) - इस दोष में व्यक्ति दूर तथा पास की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष का निवारण द्विफोकसीय लेन्स द्वारा किया जाता है |
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अबिन्दुकता या द्रष्टि वैषम्य - ( Astigmatism ) - इसमें नेत्र क्षैतिज दिशा में तो ठीक देख पाता है , परन्तु उधर्व दिशा में नहीं देख पाता है | इसके निवारण के लिए बेलनाकार लेन्स का उपयोग किया जाता है |
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सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग छोटी वस्तुओ को देखने के लिये किया जाता है , जबकि दूरदर्शी का प्रयोग दूर की वस्तुओं को देखने के लिये किया जाता है |
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प्रिय मित्रों व पाठकों आपको ये जानकारी हिंदी में कैसी लगी , कृपया अपनी टिप्पड़ी ज़रूर दें ! धन्यवाद
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मानव नेत्र यानी की मानव की आँखे , कह सकते है एक प्रकार का प्राकृतिक लेंस , जो कि कुदरत की तरफ से एक अनमोल तोहफा है , ये भी कह सकते है , भगवान् की तरफ से , जिसके ज़रिये हमें हर एक चीज़ को करीब या दूर से देख कर अनुभव हो सकता है , व ठीक-ठीक आंकलन लगाया जा सकता है ,
ये मानव को दिया गया कुदरत की तरफ से एक बहुत बड़ा गिफ्ट ( तोहफा ) है , ऐसा मै बार-बार क्यों कह रहा हूँ , इसका कारण है कि ये प्राकृतिक लेंस अगर न होते तो आज विज्ञान काफी दूर होता हमसे - क्योंकि इसी के द्वारा आज जो कैमरे , लेन्सेस , टीवी , रोबोट्स आदि के निर्माण में मानव ने काफी हद तक सफलता पायी है , वो इसी गिफ्ट की देन है ।
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तो आइये जानते है मानव नेत्रों के बारे में विज्ञान की दृष्टी से -
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मानव नेत्र एक प्रकाशिक यंत्र है , जो फोटोग्राफिक कैमरे की तरह व्यवहार करता है , इसके द्वारा वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है | इसकी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी २५ सेमी होती है | लेकिन सामान्य आँखों से देखी जा सकने वाली अधिकतम दूरी अनन्त होती है |
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इसी प्रयोग के ज़रिये आइये ये जाने की द्रष्टि दोष ( Defects of Vision ) क्या है ?
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निकट द्रष्टि दोष - ( Myopia ) - इस रोग से ग्रसित व्यक्ति नज़दीक की वस्तु तो देख लेता है , परन्तु दूर स्थित वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष के निवारण में अवतल लेन्स का प्रयोग किया जाता है |
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दूर द्रष्टि दोष - ( Hypermetropia ) - इस रोग से ग्रसित व्यक्ति निकट की वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष के निवारण के लिए उत्तल लेन्स का प्रयोग किया जाता है |
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जरा द्रष्टि दोष - ( Presbyopia ) - इस दोष में व्यक्ति दूर तथा पास की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है | इस दोष का निवारण द्विफोकसीय लेन्स द्वारा किया जाता है |
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अबिन्दुकता या द्रष्टि वैषम्य - ( Astigmatism ) - इसमें नेत्र क्षैतिज दिशा में तो ठीक देख पाता है , परन्तु उधर्व दिशा में नहीं देख पाता है | इसके निवारण के लिए बेलनाकार लेन्स का उपयोग किया जाता है |
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सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग छोटी वस्तुओ को देखने के लिये किया जाता है , जबकि दूरदर्शी का प्रयोग दूर की वस्तुओं को देखने के लिये किया जाता है |
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प्रिय मित्रों व पाठकों आपको ये जानकारी हिंदी में कैसी लगी , कृपया अपनी टिप्पड़ी ज़रूर दें ! धन्यवाद
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सुंदर जानकारी ।
जवाब देंहटाएंसुशील सर , धन्यवाद व स्वागत हैं !
हटाएंउपयोगी जानकारी, होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेन्द्र सर , धन्यवाद व हार्दिक स्वागत है , होली पर्व की शुभकामनाओं सहित
हटाएंबहुत सुंदर जानकारी.
जवाब देंहटाएंआ० राजीव भाई धन्यवाद व स्वागत हैं ।
हटाएंठीक
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