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।। एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई , साथ जो चल दिये ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी ।।
।। फिर जो आगे चले अगर , तो तूफ़ां की परवह न कीजिए , टूट कर चूर हो जाएना तूफ़ानेजहाँ , बस इतने पल का साथ हो सके तो दीजिए ।।
।। हम साथ जो चले अगर , तो दूरी की परवह न कीजिए , राहें दूरी कट जाएंगी , मनवा बस मंजिल का पता कीजिए ।।
।। पथरीली राहें जो हुई अगर , तो कठिनाई की परवह न कीजिए , उम्र उतार चढ़ाव का पाठ पढ़ाती , कुछ क्षण के लिए अपना लीजिए ।।
।। साथ जो पहुँचे अगर , तो रौशनें मुस्कुराहटें होंगी , कि जैसे हो कहने को तैयार हमसे कि ।।
।। एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई , साथ जो चल दिये ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी ।।
( चित्र गूगल से साभार )
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।। एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई , साथ जो चल दिये ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी ।।
।। फिर जो आगे चले अगर , तो तूफ़ां की परवह न कीजिए , टूट कर चूर हो जाएना तूफ़ानेजहाँ , बस इतने पल का साथ हो सके तो दीजिए ।।
।। हम साथ जो चले अगर , तो दूरी की परवह न कीजिए , राहें दूरी कट जाएंगी , मनवा बस मंजिल का पता कीजिए ।।
।। पथरीली राहें जो हुई अगर , तो कठिनाई की परवह न कीजिए , उम्र उतार चढ़ाव का पाठ पढ़ाती , कुछ क्षण के लिए अपना लीजिए ।।
।। साथ जो पहुँचे अगर , तो रौशनें मुस्कुराहटें होंगी , कि जैसे हो कहने को तैयार हमसे कि ।।
।। एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई , साथ जो चल दिये ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी ।।
( चित्र गूगल से साभार )
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क्या बात है भाई जी-
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति-
आभार आपका-
वाह !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बधाई ------
आग्रह है--
आशाओं की डिभरी ----------
आदरणीय श्री ज्योती सर , धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएंआहा ! खुबसूरत पोस्ट !
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी , स्वागत व बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत खूब ... सच है की बस एक बार चलने की शुरुआत करनी होती है ... सफर तो अपने अप तय हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
भाई जी , धन्यवाद व स्वागत हैं , भाई जी आपके प्रेम से प्रोत्साहन मिलता हैं , धन्यवाद व बहुत बहुत स्वागत हैं।
हटाएंसच कहा आपने साथ होने पर कठिन सफ़र भी आसान बन जाता है ..बस छोटे-छोटे कदमों से साथ चलने की जरुरत होती हैं ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
यहाँ पर आपने जो भी बात लिखी हैं वो बहुत बड़ा सत्य हैं , कि बस छोटे छोटे कदमों से साथ बल्कि एकता से चलने की ज़रूरत हैं , आदरणीय , धन्यवाद व स्वागत हैं
हटाएंभाव ,भावना ,शब्दों का चयन ,अभिव्यक्ति लाजवाब है !
जवाब देंहटाएं(नवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ | )
नई पोस्ट तुम
आदरणीय , सर आप का आगमन व आशीर्वाद मिलता रहे , बस और क्या चाहिए ! , धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएंबहुत ही सुंदर और प्रभावशाली रचना ....
जवाब देंहटाएंआगमन व उर्जा प्रदान करती हुईं टिप्पणी देने हेतु आदरणीय को धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएंस्वागत योग्य रचना ,बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआदरणीय , बस स्वागत है आपके प्रेम व आशीर्वाद का , धन्यवाद
हटाएं॥ जै श्री हरि: ॥
sundar
जवाब देंहटाएंआपको धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएंबेहद सुन्दर रचना आशीष भाई आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय , आपका आगमन हमें ख़ुशी व बल प्रदान करता हैं , व स्वागत है।
हटाएंhttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ के शुक्रवारीय अंक २९/११/२०१३ में आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे ........धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका आभार
हटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट तुम
आदरणीय धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएं
जवाब देंहटाएंवाह बहत खूब रूपक तत्व का बहतरीन अभिनव समावेश किया है रचना में।
आदरणीय , धन्यवाद व स्वागत हैं।
हटाएं॥ जै श्री हरि: ॥
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद श्री कैलाश सर व स्वागत हैं।
हटाएंप्रतिभा जी धन्यवाद व स्वागत हैं !
जवाब देंहटाएंअनुषा जी धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
जवाब देंहटाएं