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अब इन गर्मियों में सिवाय पानी के और कोई ऐसा द्रव्यरस नहीं है , जो आम जगह प्राप्त हो , और हमारे इस शरीर में आधे से ज्यादा मात्रा में पानी ही बहता है , जिसके कारण हमारे शरीर को काफी लाभ प्राप्त होता है , लेकिन इस तरीके से हम और लाभ प्राप्त कर सकते हैं , क्योंकि आज का आहार विज्ञान काफी आगे बढ़ चुका है। बहुआयामी खोजों से यह सत्य उद्घाटित हो गया है कि रस के आहार ( रसाहार ) से न केवल आवश्यक शक्तियां ही प्राप्त होती हैं वरन शरीर की रोगों के प्रतिरोध की क्षमता भी कई गुना बढ़ जाती है।
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रसाहार के लिए फल , सब्जी या अंकुरित अनाज आदि खाद्यों को पूर्णतया ताजा ही काम में लें। सड़े गले , बासी , काफी देर से कटे हुए खाद्य पदार्थ का नहीं , अपितु रोगाणुओं से मुक्त आहार सामग्री का ही रस निकालें , अन्यथा तीव्र संक्रमण हो सकता है।
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रसाहार कैसे लें ?
हमेशा ताजा रस ही काम में लें। निकालकर काफी देर तक रखा हुआ रस न लें। रखे रस में एन्जाइम सक्रियता , थायमिन , रिबोफ्लेविन , एस्कार्बिक एसिड आदि उपयोगी तत्व नष्ट होने लगते हैं , जिनके नष्ट न होने से हमें रसाहार का काफी लाभ मिल सकता है , तथा उपयोगी तत्व नष्ट होने से वातावरण के कुछ हानिकारक कीटाणु रस में प्रवेश कर रस को प्रदूषित कर देते हैं। ऐसा रस पीने से तीव्र प्रतिक्रिया होती है। रसाहार बैठकर धीरे-धीरे पियें। इसे प्याला या ग्लास में ही लेना चाहिए। ग्लास को मुंह की ओर ऐसे झुकायें कि ऊपरी होंठ रस में डूबा रहे। ऐसा करने से वायु पेट में नहीं जाती।
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रसों को कैसे निकालें ?
आजकल ठोस फल या सब्जियों-ककड़ी , लौकी , गाजर , टमाटर , अनानास , नाशपाती , आलू , सेब आदि का रस निकालने के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनें आती हैं। संतरा , मौसम्मी , चकोतरा और नींबू आदि कुल के फलों की अलग तरह की मशीनें आती हैं। ( बिजली से चलने वाली मशीनों की अपेक्षा हाथ से चलने वाली मशीनों से निकला रस श्रेष्ठ माना जाता है। ) सब्जी को कद्दूकश से कसने के बाद या कूटकर भी रस निकाला जाता है। रस निकालने के बाद बचे हुये खुज्झे को फेंके नहीं-इसे बेसन / आटे में मिलाकर रोटी बनाकर काम में लिया जा सकता है। यह खुज्झा पेट की सफाई कर कब्ज को दूर करता है।
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आइये जानें कौन सी प्रमुख १० तकलीफों में , कौन सा रसाहार लें ?
कब्ज - सारे रोगों की जननी है। इसमें सब्जी तथा फलों को मूल रूप में खायें। गाजर , पालक , टमाटर , आंवला , लौकी , ककड़ी , ६ घंटे पूर्व भीगा हुआ किशमिश , मुनक्का , अंजीर , गेंहूपौध , करेला , पपीता , संतरा , आलू , नाशपाती , सेब तथा बिल्व का रस लें।
उल्टी व मिचली - नींबू , अनार , अनानास , टमाटर , संतरा , गाजर , चुकंदर का रस।
अजीर्ण अपचन - भोजन के आधे घंटे पहले आधी चम्मच अदरक का रस। अनानास , ककड़ी , संतरा , गाजर , चुकंदर का रस।
एसीडिटी - पत्ता गोभी + गाजर का रस , ककड़ी , लौकी , सेब , मौसम्मी , तरबूज , पेठे का रस , चित्तीदार केला , आलू , पपीता।
एक्यूट एसीडिटी व गैस्ट्राईटिस - ठंडा दूध , गाजर रस।
बार-बार दस्त आना - बिल्व फल का रस , लौकी , ककड़ी , गाजर का रस + डेढ़ चम्मच ईसबगोल की भुस्सी , छाछ + ईसबगोल की भुस्सी।
मधुमेह ( शुगर ) - जामुन , टमाटर , करेला , बिल्वपत्र , नीम के पत्ते , गाजर + पालक + टमाटर , पत्ता गोभी का रस।
पथरी - सेब , मूली व पालक , गाजर , इमली , टमाटर का रस लें।
अनिद्रा - सेब , अमरुद , लौकी , आलू , गाजर + पालक , सलाद के पत्ते , प्याज का रस।
मुंहासे - गाजर + पालक , आलू + गाजर + चुकंदर + अंगूर , पालक + टमाटर , ककड़ी का रस।
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ध्यान दें - फल एवम् सब्जियों के नन्हे बीज न लें !
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प्रिय मित्रों व पाठकों ये जानकारी आपको हिंदी में कैसी लगी , कृपया अपनी टिप्पणी ज़रूर दें , धन्यवाद !
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अब इन गर्मियों में सिवाय पानी के और कोई ऐसा द्रव्यरस नहीं है , जो आम जगह प्राप्त हो , और हमारे इस शरीर में आधे से ज्यादा मात्रा में पानी ही बहता है , जिसके कारण हमारे शरीर को काफी लाभ प्राप्त होता है , लेकिन इस तरीके से हम और लाभ प्राप्त कर सकते हैं , क्योंकि आज का आहार विज्ञान काफी आगे बढ़ चुका है। बहुआयामी खोजों से यह सत्य उद्घाटित हो गया है कि रस के आहार ( रसाहार ) से न केवल आवश्यक शक्तियां ही प्राप्त होती हैं वरन शरीर की रोगों के प्रतिरोध की क्षमता भी कई गुना बढ़ जाती है।
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रसाहार के लिए फल , सब्जी या अंकुरित अनाज आदि खाद्यों को पूर्णतया ताजा ही काम में लें। सड़े गले , बासी , काफी देर से कटे हुए खाद्य पदार्थ का नहीं , अपितु रोगाणुओं से मुक्त आहार सामग्री का ही रस निकालें , अन्यथा तीव्र संक्रमण हो सकता है।
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रसाहार कैसे लें ?
हमेशा ताजा रस ही काम में लें। निकालकर काफी देर तक रखा हुआ रस न लें। रखे रस में एन्जाइम सक्रियता , थायमिन , रिबोफ्लेविन , एस्कार्बिक एसिड आदि उपयोगी तत्व नष्ट होने लगते हैं , जिनके नष्ट न होने से हमें रसाहार का काफी लाभ मिल सकता है , तथा उपयोगी तत्व नष्ट होने से वातावरण के कुछ हानिकारक कीटाणु रस में प्रवेश कर रस को प्रदूषित कर देते हैं। ऐसा रस पीने से तीव्र प्रतिक्रिया होती है। रसाहार बैठकर धीरे-धीरे पियें। इसे प्याला या ग्लास में ही लेना चाहिए। ग्लास को मुंह की ओर ऐसे झुकायें कि ऊपरी होंठ रस में डूबा रहे। ऐसा करने से वायु पेट में नहीं जाती।
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रसों को कैसे निकालें ?
आजकल ठोस फल या सब्जियों-ककड़ी , लौकी , गाजर , टमाटर , अनानास , नाशपाती , आलू , सेब आदि का रस निकालने के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनें आती हैं। संतरा , मौसम्मी , चकोतरा और नींबू आदि कुल के फलों की अलग तरह की मशीनें आती हैं। ( बिजली से चलने वाली मशीनों की अपेक्षा हाथ से चलने वाली मशीनों से निकला रस श्रेष्ठ माना जाता है। ) सब्जी को कद्दूकश से कसने के बाद या कूटकर भी रस निकाला जाता है। रस निकालने के बाद बचे हुये खुज्झे को फेंके नहीं-इसे बेसन / आटे में मिलाकर रोटी बनाकर काम में लिया जा सकता है। यह खुज्झा पेट की सफाई कर कब्ज को दूर करता है।
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आइये जानें कौन सी प्रमुख १० तकलीफों में , कौन सा रसाहार लें ?
कब्ज - सारे रोगों की जननी है। इसमें सब्जी तथा फलों को मूल रूप में खायें। गाजर , पालक , टमाटर , आंवला , लौकी , ककड़ी , ६ घंटे पूर्व भीगा हुआ किशमिश , मुनक्का , अंजीर , गेंहूपौध , करेला , पपीता , संतरा , आलू , नाशपाती , सेब तथा बिल्व का रस लें।
उल्टी व मिचली - नींबू , अनार , अनानास , टमाटर , संतरा , गाजर , चुकंदर का रस।
अजीर्ण अपचन - भोजन के आधे घंटे पहले आधी चम्मच अदरक का रस। अनानास , ककड़ी , संतरा , गाजर , चुकंदर का रस।
एसीडिटी - पत्ता गोभी + गाजर का रस , ककड़ी , लौकी , सेब , मौसम्मी , तरबूज , पेठे का रस , चित्तीदार केला , आलू , पपीता।
एक्यूट एसीडिटी व गैस्ट्राईटिस - ठंडा दूध , गाजर रस।
बार-बार दस्त आना - बिल्व फल का रस , लौकी , ककड़ी , गाजर का रस + डेढ़ चम्मच ईसबगोल की भुस्सी , छाछ + ईसबगोल की भुस्सी।
मधुमेह ( शुगर ) - जामुन , टमाटर , करेला , बिल्वपत्र , नीम के पत्ते , गाजर + पालक + टमाटर , पत्ता गोभी का रस।
पथरी - सेब , मूली व पालक , गाजर , इमली , टमाटर का रस लें।
अनिद्रा - सेब , अमरुद , लौकी , आलू , गाजर + पालक , सलाद के पत्ते , प्याज का रस।
मुंहासे - गाजर + पालक , आलू + गाजर + चुकंदर + अंगूर , पालक + टमाटर , ककड़ी का रस।
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ध्यान दें - फल एवम् सब्जियों के नन्हे बीज न लें !
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प्रिय मित्रों व पाठकों ये जानकारी आपको हिंदी में कैसी लगी , कृपया अपनी टिप्पणी ज़रूर दें , धन्यवाद !
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सुंदर जानकारी ।
जवाब देंहटाएंसुशील सर धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंएसीडिटी - पत्ता गोभी + गाजर का रस , ककड़ी , लौकी , सेब , मौसम्मी , तरबूज , पेठे का रस , चित्तीदार केला , आलू , पपीता।
जवाब देंहटाएं.....................अच्छी जानकारी आशीष जी
भाई जी धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं !
हटाएंbahut achhi aur labhdayak jankari ke liye aabhar ..
जवाब देंहटाएंआ. उपासना जी को धन्यवाद व सदः ही स्वागत है !
हटाएंमौसम के अनुकूल सार्थक एवं महत्वपूर्ण पोस्ट प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद आशीष जी ! इतनी भीषण गर्मी में मधुर शीतल पेय से बढ़ कर कुछ नहीं ! फिर वे स्वास्थ्य के लिये हितकारी भी हों तो सोने पर सुहागा ही है !
जवाब देंहटाएंजी आ. बिल्कुल सही कहा आपने , धन्यवाद व स्वागत हैं !
हटाएंबहुत सुंदर एवं उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंराजीव भाई धन्यवाद व स्वागत हैं !
हटाएंसार्थक लेखन ...... ज्ञानवर्द्धक आलेख ..... संग्रहणीय पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंGod Bless you
आदरणीय , धन्यवाद व सद: ही स्वागत हैं ! और प्यारा सा आशीर्वाद देने हेतु बार बार स्वागत हैं !
हटाएंबहुत उपयोगी जानकारी प्राप्त हुई आपका ब्लॉग मुझे एक श्रेष्ठ ब्लॉग लगा भाई आशीष जी ।
जवाब देंहटाएंनवीन भाई बहुत-बहुत धन्यवाद , आपका आना हमारे लिए शुभ होता है , धन्यवाद व सदः ही स्वागत है !
हटाएंमौसम अनुसार फल खाना सेहत के लिए फायदेमंद है ... ये प्राकृति की दें है इंसान को ...
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख ...
दिगंबर भाई धन्यवाद व सदः ही स्वागत है !
हटाएंगर्मियों के सीजन के लिए एक उपयोगी जाकारी !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट के लिए manojbijnori12.blogspot.com पर आपका स्वागत है
मनोज सर धन्यवाद व स्वागत है !
हटाएंमौसमी फलों सब्जियों और उनके रस के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी बहुत काम की है.
जवाब देंहटाएंआशा जी धन्यवाद व स्वागत हैं !
हटाएंआपकी यह पोस्ट अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंअल्का जी धन्यवाद व स्वागत हैं !
हटाएंधन्यवाद। यह ब्लॉग बहुत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंক্যাপসিকামের উপকারিতা
মুলার উপকারিতা
চালতার উপকারিতা
পেঁপে গাছের পাতা
Bahot achhi jankari.
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